Over Acting – लेखक: रश्मि किरण
- Audition BaBa
- Jul 5
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📚 बुक समरी: Over Acting – लेखक: रश्मि किरण
🔸 परिचय
"Over Acting" एक ऐसा नाम है जो सुनते ही हंसी, आलोचना और उत्सुकता – तीनों पैदा करता है। रश्मि किरण द्वारा लिखित यह किताब भारतीय थिएटर, सिनेमा और अभिनय की दुनिया में मौजूद "ओवर एक्टिंग" जैसी प्रचलित धारणा को एक नए नजरिए से देखने की कोशिश करती है।
🔸 किताब की थीम
यह किताब उन एक्टर्स के लिए है जिन्हें अक्सर यह कहा जाता है – "तू ओवरएक्टिंग करता है!"लेखिका इसमें दिखाती हैं कि कैसे 'ओवर एक्टिंग' सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं बल्कि समाज और इंडस्ट्री द्वारा थोपा गया एक टैग है। यह किताब बताती है कि—
असल में "ओवर एक्टिंग" क्या होती है?
कब यह जरूरी हो जाती है?
और कैसे इसे समझ कर एक्टर अपनी परफॉर्मेंस को बैलेंस कर सकते हैं।
🔸 मुख्य अध्याय / विषय-वस्तु
1️⃣ अभिनय का स्वाभाविक बनाम अतिनाटकीय रूप
यह अध्याय समझाता है कि नैचुरल एक्टिंग और ओवर एक्टिंग के बीच की रेखा कितनी पतली है, और कब ओवर एक्टिंग कला बन जाती है।
2️⃣ सिनेमा vs थिएटर – मंच पर ओवर एक्टिंग क्यों जरूरी हो सकती है?
थिएटर में बड़ी बॉडी लैंग्वेज और एक्सप्रेशन क्यों जरूरी होते हैं, और कैसे थिएटर की भाषा फिल्म से अलग होती है।
3️⃣ डायरेक्टर और ऑडियंस की परिभाषा में ओवर एक्टिंग
हर निर्देशक और दर्शक का नजरिया अलग होता है – किसी के लिए जो इमोशनल सीन है, वो किसी और को ड्रामा लग सकता है।
4️⃣ एक्टिंग स्कूल्स और 'ओवर एक्टिंग' का मिथ
अभिनय संस्थानों में सिखाई जाने वाली तकनीकों में भी 'ओवर एक्टिंग' के टैग को कैसे समझें?
5️⃣ क्या ओवर एक्टिंग वाकई खराब होती है?
यह अध्याय उन किरदारों की चर्चा करता है जिन्हें निभाने के लिए ओवर एक्टिंग जरूरी थी – जैसे कॉमेडी रोल्स, थियेटर के क्लासिकल कैरेक्टर्स आदि।
🔸 लेखिका की शैली और दृष्टिकोण
रश्मि किरण की लेखन शैली साफ़, संवादी और मोटिवेशनल है। उन्होंने कई एक्टिंग केस स्टडी, अपने अनुभव, और छात्रों के साथ बातचीत को इस किताब में जगह दी है। यह किताब सिर्फ तकनीकी नहीं, बल्कि एक मानसिक राहत की तरह भी काम करती है – खासतौर पर नए कलाकारों के लिए जिन्हें बार-बार कहा जाता है "तू ज़्यादा करता है!"
🔸 किसके लिए है यह किताब?
✅ नए थिएटर कलाकार
✅ एक्टिंग स्कूल के स्टूडेंट्स
✅ थियेटर या फिल्मों में करियर बनाने वाले
✅ डायरेक्टर्स और एक्टिंग टीचर्स
✅ और हर वो इंसान जो "ओवर एक्टिंग" शब्द को दोबारा समझना चाहता है
📝 निष्कर्ष
"Over Acting" सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक एक्टर्स के आत्मसम्मान की आवाज़ है। यह हमें सिखाती है कि एक्टिंग कोई गणित नहीं, बल्कि एक कला है – और कभी-कभी उस कला में 'ओवर' होना ही आपको 'परफेक्ट' बनाता है।
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